उस इन्सान की शक्ल पर हैं
झुर्रियाँ कई सारी
वो इंसान तारीख़ की जिंदा किताब है...
हर ज़ख्म सियासत का दर्ज है
उसकी भवों के ऊपर-
माथे पर कहीं
झुर्रियाँ कई सारी
वो इंसान तारीख़ की जिंदा किताब है...
हर ज़ख्म सियासत का दर्ज है
उसकी भवों के ऊपर-
माथे पर कहीं
आँखों के नीचे गाल पर
गहरा सा अँधा कुआँ है,
ख़ुदकुशी की थी १९१९ में
कई लोगों ने यहाँ-
बाग़ है जलियाँवाला का ये!
गहरा सा अँधा कुआँ है,
ख़ुदकुशी की थी १९१९ में
कई लोगों ने यहाँ-
बाग़ है जलियाँवाला का ये!
झुर्रियाँ कई सारी हैं
उस इन्सान की शक्ल पर!
उस इन्सान की शक्ल पर!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें