दोस्त

कभी कभार ऐसा होता है
कि बेतुकी बातें करता रहता हूँ तुमसे
सिर्फ इसलिए कि तुम्हारी आवाज़ सुनता रहूँ
एहसास होता रहे कि तुम मेरे पास हो...

महफूस रखना चाहता हूँ दोस्ती,
इसलिए झगड़ता भी हूँ
मनाता भी हूँ तुम्हें
इसी बहाने कुछ दूरियाँ मिट जाती हैं हमारी
कुछ और जान लेते हैं एक दुसरे को हम

यूँ तो कुछ बचा नहीं जानने को
बस काफी है जान लेना कि
इस मतलबी दुनिया में
एक दिल तो है
जिसके अन्दर मेरे लिए
एक एहसास है अब तक...

दोस्ती है अब तक!

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