कथा-कहानी-उपन्यास हूँ मैं, कविता हूँ मैं!
एहसास हूँ, एहसास विहीन हूँ... स्वास हूँ, नि:स्वास हूँ...
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एक कहानी
सिविलाइज़ेशन
क्यों बसा रखा है शहर?
बसे हुए से गाँव हैं,
बसे हुए से बस्ती क्यों कर?
जब हर गली कोई खड़ा है
उजाड़ने को घर?
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