राग मल्हार

गाये राग मल्हार मोरा सैयां,
मोरा सैयां गाये राग मल्हार
बरसे मेघ नयन से,
रे सावन बारमबार
गाये राग मल्हार मोरा सैयां
मोरा सैयां गाये राग मल्हार

रे रात कर जतन तू, रोक रे तू सूरज को
बोल ओसे मोरा सैयां बैठा मोरा पास
आये अब दो जुग बाद
गाये राग मल्हार मोरा सैयां
मोरा सैयां गाये राग मल्हार

रे जुगनू तू मत उड़ ऐसे-वैसे
आज रात को आ जा घर मोरे
सजा दे आँगन मोरा
बस आज रात
गाये राग मल्हार मोरा सैयां
मोरा सैयां गाये राग मल्हार

काजल मोरी बिखर गयी रे आज
गाये राग मल्हार मोरा सैयां
मोरा सैयां गाये राग मल्हार

-25.6.14

जुपिटर- 13

पैदा हुए तो
इंसान थे हम
फिर कब
टोपी वाला मुसलमान बना
और चोटी वाला हिन्दू
-ये गड़बड़झाला
हुआ कब?
जब भी हुआ,
अब तक क्यों है?

काहे का धरम?
काहे का भरम?

खोज लिया
है मैंने इसका इलाज-
तुम सब जब यहीं
अपने-अपने धरम
के साथ बैठे रहोगे
मैं चला जाऊँगा वहाँ
जहाँ नहीं है कोई धरम
मैं चला जाऊंगा
जुपिटर पर।

-13.05.2014

जुपिटर- 12

धरती से
बहुत बड़ा है
जुपिटर

इसलिए वहाँ
सबकुछ होता है
हमसे बड़ा
पेड़ भी होते हैं
बहुत बड़े
बहुत बड़े होते हैं
घर
साबू भी है
बहुत बड़ा

यहाँ सब लड़ते
रहते
छोटी-छोटी बातों पर
जलेबी पर, पानी पर-
ऐसा कुछ भी नहीं
होता वहाँ
सबका दिल भी है
बड़ा
जुपिटर पर।

-13.05.2014

जुपिटर- 11

आज
दोपहर ढाई बजे
होगा रेवेल्युशन
सभी समझदार
बैठेंगे
एक साथ
और मेरे साथ
चल देंगे

दुनिया हो गयी
थी पागल
उस दिन जिस दिन
मेरा दोस्त
मिट्ठू खो गया
-वो अब नहीं दिखता
कहीं

कल रात सपने
में आया था
बताया उसने
कि वो पहुँच चुका है वहाँ

अब बाकी बचे
सभी समझदार
मिलकर एक साथ
करेंगे रेवेल्युशन
और हम सब
छोड़ देंगे दुनिया
और पहुँच
जायेंगे
जुपिटर पर।

-13.05.2014

जुपिटर- 10

उस दिन
के झगड़े के
बाद
सामने वाले
मोहल्ले का हो गया
बटवारा

हो गया बटवारा
वैसे ही जैसे
इंडिया और पकिस्तान
का हुआ था-
अब कोई बात नहीं करता
एक-दुसरे से
सब डरे-सहमे
से रहते हैं
बच्चे नहीं खेलते
क्रिकेट
और कुल्फी वाला
अब उधर नहीं
जाता कुल्फी बेचने

मुझे बताया है मेरे
दोस्त साबू ने
वहाँ नहीं होती
ऐसी कोई भी बेवकूफी
नहीं होता बटवारा
मोहल्ले और देश का
जुपिटर पर।

-13.05.2014

जुपिटर- 9

रोज़ रात
को उड़नतस्तरी
आती है,
रोज़ रात
साबू और राका
आते हैं
चाचा चौधरी से मिलने

लेकिन चाचा जी की
तबियत अब ठीक
नहीं रहती
उमर हो गयी है
और दमे की दिक्कत है

चाचा जी ने
बोला है साबू को
कि कोई भी दिक्कत हो
तो मुझसे
बात करने को

कल जब उड़नतस्तरी
आएगी
तो बैठ जाऊँगा
मैं और मोती झट से
सफ़र थोड़ा लम्बा
होगा
हम बैठेंगे बिसकुट
और पंडित जी की
जलेबियाँ लेकर,
और
पहुँच जायेंगे
जुपिटर पर।

-13.05.2014

जुपिटर- 8

चौराहे की
लाल बत्ती
जब भी जलती है
हरी बत्ती के बाद,
सब कुछ
रुक जाता है,
बड़ी-बड़ी गाड़ियाँ
छोटी सी स्कूटर
रिक्शा, ऑटो

नहीं रुकता
मेरा दोस्त मोती,
लाल बत्ती देख कर भी
वो दौड़ते हुए
मेरे पास आ जाता है

बेवकूफ गाड़ी वाले
होरन बजा कर
डराते हैं उसको,
मोती डर जाता है,
कभी-कभी
मेरे पास बैठ कर
रोता भी है
उसकी पूछ
कांपती रहती है
और जीभ
बाहर निकल आता है
डर के मारे

मैंने बोला मोती को
कोई गाड़ीवाला
होगा नहीं वहाँ
डराने को हमको
दौड़ेंगे, घूमेंगे, सोयेंगे
हम मस्त
जुपिटर पर।

-13.05.2014

जुपिटर- 7

बहुत हो गयी बातें,
नहीं ज़रूरत क्रांति की
बेकार हैं सब क्रांतिकारी-
भगत सिंह, मार्क्स, गाँधी
और लल्लन चाचा

क्रांति नहीं लाएगी
जलेबियाँ सबके लिए
गरम-गरम,
मिलेगी जलेबियाँ
सिर्फ पंडित जी
के दुकान पर-
तीन रुपये की चार

लेकिन पंडित जी
अब नहीं रहते वहाँ
कुछ दिन पहले
मर गए वो,
लेकिन
वो मुझसे मिलेंगे
जल्द
और देंगे जलेबियाँ
खूब सारी-
जुपिटर पर।

-13.05.2014

जुपिटर- 6

रात को जब
टिमटिमाते तारे,
मुझको बुलाते
और कहते-
धरती पर
सब हो गए पागल
-बस एक मैं
बचा हूँ
और दुसरे तुम-
हम दोनों के
भरोसे
चल रही दुनिया
धीरे-धीरे
सूरज के किनारे,
और इसके अलावा
कुछ भी नहीं यहाँ-
मैं, तुम, सूरज
और सिर्फ बाकी
बचा शोर

जब हम
पहुचेंगे वहाँ
तब सब होगा-
डायनासौरस मुस्कुराएगा,
बड़ी सी वेल मछली
खेलेगी छुपा-छुपी
साथ हमारे,
कोक्रोच होगा
हमारा क्लासटीचर
वहाँ-
जुपिटर पर।

-13.05.2014