अब तुम कवितायें लिखना
छोड़ दो!
अब तुम कहानियाँ पढ़ना
छोड़ दो!
तुम्हारी संवेदनाएँ मर चुकी हैं
तुम बस कवितायें मैन्युफैक्चर कर सकते हो,
उनमे मर्म नहीं ला सकते!
किसी की भावनाओं को
समझ नहीं सकते तुम
मतलबी हो गए हो...
इंसानियत मर चुकी
है तुम्हारी!
छोड़ दो!
अब तुम कहानियाँ पढ़ना
छोड़ दो!
तुम्हारी संवेदनाएँ मर चुकी हैं
तुम बस कवितायें मैन्युफैक्चर कर सकते हो,
उनमे मर्म नहीं ला सकते!
किसी की भावनाओं को
समझ नहीं सकते तुम
मतलबी हो गए हो...
इंसानियत मर चुकी
है तुम्हारी!