मुझे चिड़िया बना दे

चल बहुत हुआ नाटक इंसान बनने का-
तिलिस्म पैदा कर- मुझे चिड़िया बना दे|

चिड़िया बना दे-
के ज़रूरी है उड़ना मेरी रूह के लिए
के ज़रूरी है मुझे अपने ख्वाब को जीना
जीने के लिए
के ज़रूरी है के मैं पंख खोलूँ अपने
उड़ जाऊं फुर्र फुर्र फुर्र

अब किसे रोमांटिक कहोगे तुम?
जिंदगी के एहसास को-
एक आस को-
एक खामोश प्यास को?

-हाँ ये रोमांटिसिज़्म हो सकता है
लेकिन देखो ना,
मेरे पंख सच्चे हैं
ये उड़ना चाहते हैं 

अपनी रिअलिटी के
अधपके नोशन से
मेरी उड़ान को मत रोको

चल बहुत हुआ नाटक इंसान बनने का-
तिलिस्म पैदा कर- मुझे चिड़िया बना दे|

-7.5.2013