भ्रम

ये भ्रम
कि मैं बड़ा हूँ
बहुत बड़ा है

मेरे बड़े होने
से भी बड़ा

ये भ्रम
कि तुम छोटे हो
बहुत बड़ा है

तुम्हारे और मेरे
छोटे होने से भी बड़ा

ये सच
कि हम एक हैं
बहुत कम लोगों
को पता है

23.10.17

कुछ कहना था

कोई और अब यहाँ रहता है शायद
जो कभी मुझे मेरा घर लगता था
मैं चाँद पे सोया हूँ, आ जाओ दोस्तों
वीरान है वो जगह जो शहर लगता था

मेरे खेल में मैं अकेला हूँ लेकिन
तुमसे कोई बात कहनी थी, सुनो
मैं अकेले खेल नहीं पाता
वो झूठ है जो कभी सच लगता था

इतने सच के बीच मैं कैसे रह सकता हूँ
मैं कहता नहीं वो बात जो कह सकता हूँ
मेरे पास दो पर है, आगे आसमान है, देखो
मेरे पर ले लो, उड़ो, फिर बताना कैसा लगता था

19.10.17

प्रेम कविता

तुम्हारे जाने के बाद
मैंने जाना कि प्रेम सबसे बड़ा है

तुम्हारा आना इसलिए था
कि प्रेम था
तुम्हारा जाना इसलिए था
कि प्रेम नहीं था

तुम्हारे आने
और तुम्हारे जाने से
बहुत बड़ा है प्रेम

मेरे होने
और मेरे ना होने से
बहुत बड़ा है प्रेम

इतना समझना बहुत है
कि भूगोल की
सभी बड़ी बातों की जड़ से
जो बनता है-
बिग बैंग के होने
के बाद की घटनायें सारी,
पृथ्वी के बनने के
बाद जो कुछ भी हुआ
इंसानों के जन्म के बाद
जो लाखों वर्षों में हुआ
जितनी भी भाषायें बनी
जितनी भी सभ्यताएं आयीं
जितने भी साम्राज्य बने
उन सब के बाद हमने जो पाया
वो प्रेम है

ये कितनी बड़ी बात है
कि इतने सालों के बाद
इतिहास के बाद
भूगोल के बाद
जो मुझ तक पहुँचा
जो तुम तक पहुँचा
वो प्रेम था

इसे अकेले नहीं समझ सकता
आओ,
इसे साथ समझते हैं

18.9.17