कुछ ख़याल 3

ना सुना, ना देखा, पर लोग कहते हैं,
भगवान् बोलते हैं तो आवाज़ गूँजती है 

हर रोज़ खुदा बनता हूँ मैं खाली कमरे में!

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एक परत चादर की उठा दो,
आज बेलिहाफ कर दो दुनिया

हम भी देखें दुनिया कैसी है!

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कुछ देर तक वो भी चुप था,
मैं भी ख़ामोश रहा पल भर

फिर हमने एक दूसरे को दोस्त कह दिया!

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शाख से लटकते पत्ते को टूटते देखा,
फिर किसी की पहचान मिटते देखा 

या नयी पहचान बना रहा है कोई!

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दो पल ठहरने दो,
साँस भी लेने दो इसे 

ज़िन्दगी है, बहुत लम्बा सफ़र है इसका

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