कथा-कहानी-उपन्यास हूँ मैं, कविता हूँ मैं!
एहसास हूँ, एहसास विहीन हूँ... स्वास हूँ, नि:स्वास हूँ...
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पुरानी कवितायें
एक कहानी
ख़ामोशी
ख़ामोश ही रहने लगे आजकल
अपने घर में हम,
दीवारों को तो अब भी
आवाजें सुनने की आदत है
तुम आ जाओ तो कुछ बातें करें!
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