कथा-कहानी-उपन्यास हूँ मैं, कविता हूँ मैं!
एहसास हूँ, एहसास विहीन हूँ... स्वास हूँ, नि:स्वास हूँ...
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पुरानी कवितायें
एक कहानी
गुफ़्तगु
ज़िन्दगी बड़ी अजीब सी
लगने लगी है
ऐसा तो पहले होता ना था,
कुछ किताबें
इसने भी पढ़ ली होगी
आजकल
सवाल बहुत करती है...
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