एक पल

ज़िन्दगी के उफ़ान भरे रास्तों और ढलानों से 
गुज़रते उम्र के हर पन्ने को 
उड़लते-पलटते देखने की ख्वाहिश 
मेरे दिल में फिर से मचल रही है 

हवा के साथ गुज़रते ,
गालों को सहलाते 
वक़्त के तेज़ कदम
फिर से मेरे साथ 
दो पल के लिए रुके हैं 

अब,
जब नादाँ दस्तक हौले से 
मेरे घर के दरीचे पर आई 
तब सिर्फ दरवाज़ा नहीं खुला,
खुला नए सवेरे का रास्ता 
जो होकर गुज़रा पुराने यादों के साए से

कौंधते हुए अचानक से 
दिल पर दस्तक दे गए कई पुराने साथी,
कुछ पुरानी ख्वाहिशें फिर से जिंदा हो गयीं|

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