मैं तन्हा महसूस करता हूँ
बच्चे की तरह डरने लगता हूँ
महसूस करता हूँ तुम्हारी कमी
और एक चाहत सी जगती है
तुमसे मिलने की...
और ना जाने कहाँ से
पलक झपकते ही
तुम आ जाते हो मेरा
हाथ थामने...
...इस वीरान अँधेरी रात में!
बच्चे की तरह डरने लगता हूँ
महसूस करता हूँ तुम्हारी कमी
और एक चाहत सी जगती है
तुमसे मिलने की...
और ना जाने कहाँ से
पलक झपकते ही
तुम आ जाते हो मेरा
हाथ थामने...
...इस वीरान अँधेरी रात में!
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