कथा-कहानी-उपन्यास हूँ मैं, कविता हूँ मैं!
एहसास हूँ, एहसास विहीन हूँ... स्वास हूँ, नि:स्वास हूँ...
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एक कहानी
दंगे
मेरे खुदा का मिजाज़
बिगड़ा हुआ है,
लड़ता रहता है आजकल
तुम्हारे भगवान् से
हम जिसे परवरदिगार समझते थे,
वो भी इंसान निकला!
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