आइने के लिए...

आइना देखता हूँ 
तो आइना हो जाता हूँ मैं...

देखता हूँ
एक से ही दो चेहरे
आइने के अन्दर- बाहर,
दोनों के रंग एक से हैं,
एक सी ही लगती है 
दोनों की शक्सियत 

फिर से आँखों को लगता है
धोखा हुआ!

*

इस घर में मैं अकेला तो नहीं
एक आइना भी है

उस तरफ भी कोई रहता है!

*

मैं हँसता हूँ तो हँसता है ये
मेरे रोने पे रोता भी है

ये आइना है या हमदर्द कोई?

*

आज वो मुझसे रूठा सा था,
मेरे चेहरे को पढ़ भी न सका

जो मेरे रोने पे रोता था,
आज हंस पड़ा...

आइना भी आज इंसान नज़र आया!

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