माँ..
अब भी तुम्हारी हाथ पकड़ कर
सोने का मन करता है,
अब भी तुम्हारी डांट-डपट
सुनने का मन करता है,
मन करता है
तुम्हारे साए में सोता रहूँ,
फिर से दो साल का
"छोटू" बन जाने का मन करता है...
तुमसे छिप कर क्रिकेट खेलने जाता था,
तुम पीछे पीछे आती थी बुलाने मुझे
चाहता हूँ फिर से तुम मुझे बुलाने आओ,
भाग कर क्रिकेट खेलने का मन करता है
बहुत मुश्किल से समझ आती है
मुझे किताबों की भाषा,
तुम्हारे मुँह से लोरी सुनने का मन करता है
थक चुका है
मेरा ये कद बढ़कर,
तुम्हारी गोद में सामने का मन करता है...
अब भी तुम्हारी हाथ पकड़ कर
सोने का मन करता है,
अब भी तुम्हारी डांट-डपट
सुनने का मन करता है,
मन करता है
तुम्हारे साए में सोता रहूँ,
फिर से दो साल का
"छोटू" बन जाने का मन करता है...
तुमसे छिप कर क्रिकेट खेलने जाता था,
तुम पीछे पीछे आती थी बुलाने मुझे
चाहता हूँ फिर से तुम मुझे बुलाने आओ,
भाग कर क्रिकेट खेलने का मन करता है
बहुत मुश्किल से समझ आती है
मुझे किताबों की भाषा,
तुम्हारे मुँह से लोरी सुनने का मन करता है
थक चुका है
मेरा ये कद बढ़कर,
तुम्हारी गोद में सामने का मन करता है...
kavitaen kafi rochak hain ,keep writng coz we are still reading
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