जब ज़मीन भी बेगानी हो गयी
मेरे नस्ल के खाते से,
चावल के दाने से
हक भी छीन लिया उन्होंने
जिनके लिए
हम चावल उगाते थे,
मेरी बेटी का निवाला
जब पहुँच ना सका
उसके मुँह तक
तब,
मैंने उसके घर का रुख किया
जहाँ से सोचा था
खुशियाँ बीन कर लाऊंगा
जैसे ही अपने हक पर
हाथ रखा,
'चोर- चोर- चोर'
नाम रख दिया लोगों ने मेरा!
मेरे नस्ल के खाते से,
चावल के दाने से
हक भी छीन लिया उन्होंने
जिनके लिए
हम चावल उगाते थे,
मेरी बेटी का निवाला
जब पहुँच ना सका
उसके मुँह तक
तब,
मैंने उसके घर का रुख किया
जहाँ से सोचा था
खुशियाँ बीन कर लाऊंगा
जैसे ही अपने हक पर
हाथ रखा,
'चोर- चोर- चोर'
नाम रख दिया लोगों ने मेरा!
(नीलमा सरवर- पाकिस्तानी शायरा- के लिए)
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