चाँद का मुँह टेढ़ा है!
-मुक्तिबोध
कुछ टेढ़ा सा तो मुँह है चाँद का!
कभी रहा होगा वो भी
एक हिस्सा इस जहाँ का
ऊब सा गया होगा
जैसे ऊब गए हैं
दो -चार लोग यहाँ और
हज़ार -दस हज़ार
लाख -कड़ोड़ लोग यहाँ और
चला गया छोड़ कर
चाँद जहाँ को
दूर बैठा है
मुँह टेढ़ा है
आराम से सो रहा है
आज कल चाँद
शायद देखना पसंद नहीं उसे
दुनिया को
ऊब गया है!
जब कभी दिखते होंगे हम उसे
मुस्कुराता होगा
हँसता होगा पागलों की तरह
कर लेता होगा मुँह टेढ़ा
चला जाऊंगा मैं भी कभी चाँद पर
जल्द ही कदम रखूँगा चाँद पर
कर लूँगा मैं भी मुँह टेढ़ा
-मुक्तिबोध
कुछ टेढ़ा सा तो मुँह है चाँद का!
कभी रहा होगा वो भी
एक हिस्सा इस जहाँ का
ऊब सा गया होगा
जैसे ऊब गए हैं
दो -चार लोग यहाँ और
हज़ार -दस हज़ार
लाख -कड़ोड़ लोग यहाँ और
चला गया छोड़ कर
चाँद जहाँ को
दूर बैठा है
मुँह टेढ़ा है
आराम से सो रहा है
आज कल चाँद
शायद देखना पसंद नहीं उसे
दुनिया को
ऊब गया है!
जब कभी दिखते होंगे हम उसे
मुस्कुराता होगा
हँसता होगा पागलों की तरह
कर लेता होगा मुँह टेढ़ा
चला जाऊंगा मैं भी कभी चाँद पर
जल्द ही कदम रखूँगा चाँद पर
कर लूँगा मैं भी मुँह टेढ़ा
हसुँगा पागलों की तरह मैं भी
देख कर रेंगते हुए कीड़ों को यहाँ
पर मेरी हँसी सुनेगा कौन वहाँ?
देख कर रेंगते हुए कीड़ों को यहाँ
पर मेरी हँसी सुनेगा कौन वहाँ?
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