तुम्हारी गोद में सो तो नहीं पाता,
पर तुम्हारी हाथ का बुना
स्वेटर पहन लेता हूँ ...
...पहन लेता हूँ
तुम्हारी परछाई फिर से ,
तुम्हारे साये में फिर से
पलने लगता हूँ ...
...सुनाई तो देती होगी तुम्हे
मीलों दूर से आवाज़
...मेरी किलकारी की !
पर तुम्हारी हाथ का बुना
स्वेटर पहन लेता हूँ ...
...पहन लेता हूँ
तुम्हारी परछाई फिर से ,
तुम्हारे साये में फिर से
पलने लगता हूँ ...
...सुनाई तो देती होगी तुम्हे
मीलों दूर से आवाज़
...मेरी किलकारी की !
I'm moved...
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