यूँ तो ऐसा भी किया हमने,
कुछ लम्हात हँस कर देख लिया
मुस्कान बिखेर ली कुछ देर...
फिर एहसास हुआ
मेरी साँसों पर
पहरा लगा रखा है किसी ने...
मेरी ख्वाहिशों को
ग़ुलाम बना रखा है किसी ने…
फिर चुप ही रहा मैं !
कुछ लम्हात हँस कर देख लिया
मुस्कान बिखेर ली कुछ देर...
फिर एहसास हुआ
मेरी साँसों पर
पहरा लगा रखा है किसी ने...
मेरी ख्वाहिशों को
ग़ुलाम बना रखा है किसी ने…
फिर चुप ही रहा मैं !
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