मेरी सारी कवितायें झूठी हैं

मैं सालों से झूठ
लिख रहा हूँ
और तुम उसे पढ़ रहे हो

मेरे झूठ को मेरा सच मान कर
तुम मुझे महान समझ रहे हो
-मैं इस बात से खुश होता हूँ

मेरी झूठी कविताओं में
तुमने ख़ुद को खोज भी लिया है
-आह! कितनी अद्भुत बात है ये

मेरे सारे झूठ के पीछे
मैं लाल रंग के हाफ पैंट
में बैठा हँसता हूँ

(मैं तुम्हें बेवकूफ बनाते हुए नहीं थकता
तुम बेवकूफ बनते नहीं थकते)

कवि से प्रेम मत करना
वो सिर्फ तुम्हारी
बेवकूफियों पर
कवितायें लिख रहा है

लेकिन रुको-
मैं भी तुम्हारी कविता पढ़ता हूँ
मैं भी तुमसे प्रेम करता हूँ
मैं भी तुम्हें महान मानता हूँ

हम दोनों कितना झूठ जी रहे हैं
ये दुनिया कितनी झूठी है

17.8.17

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