कुछ भी होने से पहले
मैं इंसान हूँ
कहीं भी नौकरी करने से पहले
मैं इंसान ही था
कोई भी कविता लिखने से पहले
मुझे मालूम था इंसान होना क्या होता है
किसी भी देश का नागरिक होने से पहले
मैं इंसान बना था
कहीं भी किसी के साथ अन्याय
एक इंसान के साथ अन्याय है
मेरी पहचान मुझे अंधा नहीं कर सकती
एक अन्याय को पहचानने से
मैं सिरे से खारिज करता हूँ
अंधभक्ति को
मैं सिरे से खारिज करता हूँ
किसी भी सूरत में किसी का ज़ुल्म
कुछ भी होने से पहले
मैं इंसान हूँ
इसलिए कुछ भी होने से पहले
मुझे बोलना होगा
मुझे बोल कर लोगों को
याद दिलाना होगा
कि कुछ भी होने से पहले
वो इंसान हैं
22.12.2019
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें