कथा-कहानी-उपन्यास हूँ मैं, कविता हूँ मैं!
एहसास हूँ, एहसास विहीन हूँ... स्वास हूँ, नि:स्वास हूँ...
पहला पन्ना...
पुरानी कवितायें
एक कहानी
वैज्ञानिक
जब लगता है
मानव सभ्यता ने खोज डाला है
सबकुछ अंतरिक्ष में
तब
एक नया वैज्ञानिक
खोज कर लाता है एक नया तारा
या धूमकेतु कोई
बिल्कुल वैसे
जैसे हमारे बहुत साफ-सुथरे
घर से
माँ खोज निकालती है
ढेर सारा कचरा
[11.10.2019]
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें