मैं एक नई कविता कहना चाहता हूँ

मैं एक नई कविता कहना चाहता हूँ

वो कविता जिसमें एक नई बात हो
जिसे किसी ने कभी ना कहा हो

वो कविता जिसे कह कर
मैं मुस्कुरा सकूँ
वो कविता
जो मुझे मेरे हिस्से का सुख दे सके
वो कविता जिसके साथ
मैं चल सकूँ
कुछ देर बात कर सकूँ

उस नई कविता से मैं
नई दुनिया की कल्पना कर पाऊँ
उस नई कविता की सुंदरता में
मैं एक नए संसार की
सुंदरता को देख सकूँ

कि जब इंसानी सभ्यता
सारे पेड़ काट चुकी होगी
मेरी इस कविता से
मैं अपने हिस्से का ऑक्सीजन ले पाऊँ

मेरी नई कविता
एक नए भाषा को जन्म दे
कि जिसके बोल सुन कर
पेड़ों पर नए पत्ते उग आएं
मैं बोलूँ 'बादल'
और मैं बादलों से घिर जाऊँ
कि इस भाषा में सिर्फ 'वर्षा'
बोलने भर से बारिश हो जाए

लेकिन,
ये सब मुझे इतना कहने भर से मिल जाता है
कि मैं तुमसे प्रेम करता हूँ
और ये बात बिल्कुल भी नई नहीं है

- 4.9.19

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