दूर शहर में

मैंने अक्सर पाया है
किसी दूर शहर में चलते हुए खुद को

अक्सर पाया है
कि मैं उस समय उस शहर को नहीं
समझ पाता
जितना वहाँ से वापस घर आकर
समझता हूँ -
बिल्कुल एक बीत चुके रिश्ते की तरह,
कि जब तक रिश्ते में रहे
एक दूसरे को समझ नहीं पाए
जितना एक दूसरे से दूर जाने के बाद समझा

एक नए रिश्ते में हम
एक नए शहर में बस रहे होते हैं
नया घर, नई सड़क
नई बातें, नई मुलाक़ातें
नया सबकुछ

जब शहर पुराना हो जाता है
तब हम किसी दूसरे शहर की तरफ बढ़ते हैं
और ये निरन्तर चलता रहता है

कई साल बाद
किसी फोटोग्राफ को देखते हुए
हम सोचते हैं
"उफ, ये शहर कितना अच्छा था"

लेकिन अब उस शहर तक जाने के
सारे रास्ते बंद हो चुके हैं

16.5.19

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