ईश्वर के बारे में सोचते हुए
मुझे शेक्सपियर की याद आती है
या अठारवीं सदी के किसी कवि की
और खुद को मैं एक अक्षर मात्र सा पाता हूँ
जिसे ईश्वर ने मरने से पहले लिखा हो
शेक्सपीयर भी मरने के बाद जीवित है
जैसे ईश्वर हममें
लेकिन अंत में हम सिर्फ अक्षर मात्र हैं
और किताब में शब्द बहुत हैं
1.11.18
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