एहसास हूँ, एहसास विहीन हूँ... स्वास हूँ, नि:स्वास हूँ...
मैं बातें तुमसे नहीं करता- तुम्हारे अंदर के मैं से करता हूँ
इतने सालों में मैंने तुम्हारे अंदर बना डाला है अपना एक घर
तुम जब चले जाओगे तब सोचूँगा मैं रहता कहाँ था
अभी मैं तुमसे बात करने में खुद से बात करने का सुख देख रहा हूँ।
12.7.16
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