रात ऐसी है
कि खोये हुए हैं
कुछ रोये हुए हैं
लम्हों में क़ैद
सपने सोये हुए हैं
मैं अकेला हूँ तो क्या
एक जुगनू जल रहा है
मैं चल नहीं पाता
लेकिन साथ मेरे चल रहा है
अपनी दौलत
यादों की दौलत
और जो सब है
वो अपना कब है
रात ऐसी है
कि बस रात जैसी है
27.2. 2017
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