जुपिटर- 3

अब पानी भी
खामोश है,
चुप हो गए बादल,
चिलचिलाती धूप
है शांत,
पत्ते सारे के सारे
थम गए,
रुक गयी है हवा

-मैंने बता दिया है
सबको
धरती पागल है,
धोखा है
सिविलाइज़ेशन

अब सबके सब
चलेंगे मेरे साथ
एक नयी दुनिया
बसाने-
जुपिटर पर।

-06.05.204

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