हम सभी सिर्फ कविताओं का
अनुवाद कर रहे होते हैं
कुछ अलग भाषा से
अपनी समझने वाली भाषा में
जैसे तुम किसी दूसरी भाषा में
मुझसे कुछ कहती हो
और मैं अपनी अधपकी समझ से
उसका अनुवाद करता हूँ
जैसे मेरा अंतर
मुझसे दूसरी भाषा में
बातचीत करता है
और मैं सिर्फ उसका अनुवाद लिखता हूँ
जैसे ये सारी दुनिया
दूसरी भाषा में
पूरी देर बात करती रहती है
और सारे कवि उसका अनुवाद करते रहते हैं
बहुत कुछ अनुवाद में खो जाता है
काश कि हम मौन को पढ़ पाते
1.2.18
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