एहसास हूँ, एहसास विहीन हूँ... स्वास हूँ, नि:स्वास हूँ...
हम मिलेंगे साथी...
हर ऋतु से पहले अऋतु में, हर दिन से पहले अदिन में, हर साँस से पहले नि:स्वास में...
हम मिलेंगे साथी जीवन भर
-यूँ ही।
28.9.14
यूँ जीते भी तो क्या जीते हम ज़र्रा तुम ज़मीं होते
आंधियाँ वक़्त की आती एक दूसरे से रूबरू होते
जब जुनूं ख़त्म हो जिंदगी के हम एक दूसरे के सुकूँ होते
-29.8.14