जुपिटर- 6

रात को जब
टिमटिमाते तारे,
मुझको बुलाते
और कहते-
धरती पर
सब हो गए पागल
-बस एक मैं
बचा हूँ
और दुसरे तुम-
हम दोनों के
भरोसे
चल रही दुनिया
धीरे-धीरे
सूरज के किनारे,
और इसके अलावा
कुछ भी नहीं यहाँ-
मैं, तुम, सूरज
और सिर्फ बाकी
बचा शोर

जब हम
पहुचेंगे वहाँ
तब सब होगा-
डायनासौरस मुस्कुराएगा,
बड़ी सी वेल मछली
खेलेगी छुपा-छुपी
साथ हमारे,
कोक्रोच होगा
हमारा क्लासटीचर
वहाँ-
जुपिटर पर।

-13.05.2014

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