पैदा हुए तो
इंसान थे हम
फिर कब
टोपी वाला मुसलमान बना
और चोटी वाला हिन्दू
-ये गड़बड़झाला
हुआ कब?
जब भी हुआ,
अब तक क्यों है?
काहे का धरम?
काहे का भरम?
खोज लिया
है मैंने इसका इलाज-
तुम सब जब यहीं
अपने-अपने धरम
के साथ बैठे रहोगे
मैं चला जाऊँगा वहाँ
जहाँ नहीं है कोई धरम
मैं चला जाऊंगा
जुपिटर पर।
इंसान थे हम
फिर कब
टोपी वाला मुसलमान बना
और चोटी वाला हिन्दू
-ये गड़बड़झाला
हुआ कब?
जब भी हुआ,
अब तक क्यों है?
काहे का धरम?
काहे का भरम?
खोज लिया
है मैंने इसका इलाज-
तुम सब जब यहीं
अपने-अपने धरम
के साथ बैठे रहोगे
मैं चला जाऊँगा वहाँ
जहाँ नहीं है कोई धरम
मैं चला जाऊंगा
जुपिटर पर।
-13.05.2014
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