पटना

मुझ में इतना बसा हुआ है मेरा घर
कि कोई देखे तो दिखे पूरा शहर

मुझे लगता किसी ने नाम मेरा पूछा
जो पूछे बिहार की राजधानी किधर?

एक शोर जो मैं सुनता हूँ ट्रैफिक की
ये ज़रूर कंकड़बाग होगा मेरे अंदर

अब दिखे तो सिर्फ फ्लाईओवर दिखे
पहले दीघा में आते थे आम नज़र 

एक मोहल्ला जहाँ रहता है बचपन
दूर से दिखता है वो पटेल नगर

2.5.22 

अकेलेपन की कविता

अकेले रहने में
चुप रहता हूँ

कोई साथ रहता है तो बोलता हूँ

अकेले रहने में
कभी कभी खुद से बात करता हूँ

किसी और के सामने खुद से बात करूँ 
तो लोग पागल बोलेंगे

लेकिन अकेले रहने में खुद को 
पागल नहीं बोलता हूँ

मैं बोलता हूँ कि
अब मुझे खाना खा लेना चाहिए
अब कुछ पढ़ लो
अब सोने का समय हो गया

मैं कुछ देर अपने बचपन से भी बात करता हूँ

किसी सिनेमा के पात्र की तरह
मुझे मैं दिखता हूँ दूर से

सिनेमा के पात्र को आप कुछ भी बोलो
वो सुन नहीं सकता

मैं भी मैं को सुन नहीं सकता

अकेले रहने में बहुत से पात्र
आपके साथ रहते हैं

ये किसी को बताओ तो वो नहीं मानेगा
इसलिए ये सिर्फ उन पात्रों को ही बताता हूँ
जो मेरी बात नहीं सुन सकते।

3.3.22

प्रेम कविता

पूरे संगीत को समझने के लिए
पूरे संगीत को सुनने की 
आवश्यकता नहीं होती

थोड़े से सुंदर संगीत से भी
पूरे संगीत को समझ सकते हैं

पूरे प्रेम को समझने के लिए
बहुत प्रेम की आवश्यकता नहीं होती

थोड़े से जीवन में 
थोड़ा सा सुंदर प्रेम भी
सम्पूर्ण प्रेम है

8.3.22

कविता और जीवन

जीवन जीने की कोशिश में
जीवन जीता हूँ
जैसे 
कविता लिखने की कोशिश में
कविता

कविता सुंदर तब होती है
जब कोशिश नहीं करता 
जैसे 
जीवन

27.3.22 

समय लगता है

जीवन भर
हम सिर्फ एक रास्ते पर नहीं होते
एक साथ सैकड़ों सड़क पर
हमारे सैकड़ों पैर चल रहे होते हैं

नहीं होता सिर्फ एक गंतव्य
सैकड़ों गंतव्यों को 
हम अपनी सैकड़ों आंखों से
लगातार देखते हैं

नहीं होता किसी का सिर्फ एक साथी
कई संबंध
हमारे साथ चलते हैं जीवन भर

हम बहुत कोशिश भी कर लें
लेकिन हर सफ़र में
तय समय लगता है

मैंने एक शब्द कहा 
उसको तुम तक पहुँचने में 
एक तय समय लगेगा

दूर ग्रह पर
समय के माने अलग हैं,
पृथ्वी पर अलग

मेरे अनुमान से
मुझे तुम तक पहुँचने में
कई पैरों का सफ़र करना है

ऐसे ही पृथ्वी पर समय बीत जाएगा

मैं एक ऐसा ग्रह खोज रहा हूँ
जहाँ सबकुछ धीमी गति से बीते

मैं अपने सारे संबंधों को
वहाँ ले जाना चाहता हूँ

पृथ्वी पर तय समय में
कुछ भी नहीं कर पाया

बस एक काम बचा है -
धीमी गति वाले ग्रह को
जल्दी जल्दी खोजना है

27.9.21 

कविता सरीखा प्रेम

मेरी यादों में
तुम एक कविता जैसी ही हो

मैंने तुम्हें धोखा दिया
लेकिन तुमने मुझे सहर्ष स्वीकारा
- तुमने मुझ में एक संभावना देखी

कविता संभावनाओं को 
विकसित करती है
तुमने प्रेम में मुझे
पाला पोसा है

एक सुंदर कविता वो है
जिसे पढ़ कर
एक कविता लिखने का मन करे

कविता अपना वंश बढ़ाना 
जानती है
- एक जैसे मन को जोड़ती है

हम ऐसे जुड़े 
जैसे कविता की दो पंक्तियाँ 
किसी अदृश्य ताकत से जुड़ती हैं

25.1.22


दुनियादारी

उदास शहर में तेरा हँसना बहुत ज़रूरी है
खुश होना अलग है, दिखना बहुत ज़रूरी है

खुद को ख़ुदा मानते, शहर खरीदते लोग
बस इनसे बच के रहना बहुत ज़रूरी है

कुछ खास नहीं है लेकिन, फिर भी सुन लो
ज़िंदा दिल के साथ जीना बहुत ज़रूरी है

8.9.21 

तुम्हारे जाने के बाद

तुम्हारे जाने के बाद
घर
'तुम कभी रहती थी'
वाली जगह में बदल गया

तुम्हारे जाने के बाद
किताबें
तुम जैसे रख कर गयी थी
वैसे ही रहने की कोशिशें करती रहीं

तुम्हारे जाने के बाद
कुर्सियाँ
अपनी जगह से
डेढ़ फुट आगे-पीछे
रहने लगीं

तुम्हारे जाने के बाद
सबकुछ
पहले कैसे रहते थे
की याद के साथ रहने लगे

(मैं भी)

11.8.21

हम कविता क्यों लिखते हैं

दुनिया में करोड़ों कविताएं
लिखी जा चुकी हैं

फिर भी जब मैं
अपने लिए खोजता हूँ
एक कविता
तो खाली लगती हैं 
सभी कवियों की बातें

फिर मैं एक कविता लिखता हूँ

30.1.21

गुरुत्वाकर्षण

धरती के पास अपना गुरुत्वाकर्षण होता है
वैसे ही जैसे सूरज में है

जुपिटर जैसा गुरुत्वाकर्षण 
दूर तारे के किसी ग्रह में भी होता है

सबके पास अपना अपना
थोड़ा कम थोड़ा ज़्यादा होता है
गुरुत्वाकर्षण

मैं जीवन की कल्पना नहीं कर पाता
बिना गुरुत्वाकर्षण को सोचे हुए

तुम्हारे गुरुत्वाकर्षण का असर इतना है
कि किसी ग्रह की तरह 
तुम्हारे किनारे ही जीवन भर चलता रहा हूँ
तुम्हारी परिधि में जीवन की कल्पना करते हुए
जीवन जी रहा हूँ

तुम्हें खोज लिया किसी ने
अपनी टेलिस्कोप से
लेकिन अभी किसी वैज्ञानिक ने नहीं खोजा है
मुझ छोटे ग्रह को
अभी किसी को पता नहीं कि 
कई प्रकाश वर्ष दूर एक ग्रह पर जीवन है
जिसके तारे तुम हो
और जिसके गुरुत्वाकर्षण से 
मेरे पूरे शरीर में एक सभ्यता पल रही है

3.1.20