कथा-कहानी-उपन्यास हूँ मैं, कविता हूँ मैं!
एहसास हूँ, एहसास विहीन हूँ... स्वास हूँ, नि:स्वास हूँ...
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पुरानी कवितायें
एक कहानी
दुनियादारी
उदास शहर में तेरा हँसना बहुत ज़रूरी है
खुश होना अलग है, दिखना बहुत ज़रूरी है
खुद को ख़ुदा मानते, शहर खरीदते लोग
बस इनसे बच के रहना बहुत ज़रूरी है
कुछ खास नहीं है लेकिन, फिर भी सुन लो
ज़िंदा दिल के साथ जीना बहुत ज़रूरी है
8.9.21
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