कथा-कहानी-उपन्यास हूँ मैं, कविता हूँ मैं!
एहसास हूँ, एहसास विहीन हूँ... स्वास हूँ, नि:स्वास हूँ...
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पुरानी कवितायें
एक कहानी
सियासत
जो कुछ
भी था
उसे
सेनापती ने
रख लिया,
सिपाहियों
को तो
मिली
ज़िल्लत की मौत
बस!
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