आज ज़िंदगी बहुत परेशान सी है
ज़िंदा रहने के खबर से हैरान सी है
इजाज़त मिली सरकार से जीने की
ये हुक्म भी मौत के फ़रमान सी है
बढ़ रहा है लिए अंगारे अपने झोले में
इसकी किस्मत भी हिन्दोस्तान सी है
डर कहाँ किसी को हैवानियत का
अब तो डर बस तेरे भगवान की है
मेरा शहर बहुत साफ़ है आजकल
पर कुछ लाशों की यहाँ निशान सी है
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जिसे दुश्मन समझते रहे देर तक
उसकी शक्ल भी तो इंसान सी है
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