"कुछ पल पन्नों में बस नहीं सकते,
दिल में बसा के रखना होता है उन्हें"
यूँ तो सफर लम्बा सा था
एक सफह पलट कर देखता हूँ अब
तो कुछ पत्ते नज़र आते हैं-
मुड़े से, ज़मीन पर गिरे से,
साथ ही हमने रौंदा था उन्हें
चले थे कारवाँ लेकर जब
चुन लो वो पत्ते
हमारी यादों के गवाह हैं वो
हो सके तो
रख लेना अपने पास
हर वो लम्हा
जो साथ बिताया था हमने
हर पल में कुछ
ओस की बूँदें शामिल कर दी हैं मैने-
कुछ मिलावट आँसुओं की भी होगी शायद
देख लेना एक बार
अपनी उँगलियों से सहला कर!
वक्त गुज़रेगा
(गुज़रता ही है)
फिर से कहानी कोई नयी आएगी
मंच सजेगा
तुम होगे वहाँ फिर से
मेरी कमी को महसूस करना
हो सके तो...
तब बुदबुदा देना
हवा के कानों में मेरा नाम-
जब गुजरेंगे मेरे पास से
तो सुन लूँगा मैं
कुछ सामान यूँ छोड़े जाता हूँ
तुम्हारे पास
रिश्ते बुनते तो नहीं हम,
बेबाक से रिश्ते
बन जाते हैं खुद-ब्-खुद
कैसे कह दूँ
कोई रिश्ता नहीं तुमसे?
खुद से पूछ लो-
कुछ तो है
हमारे दर्मयाँ शायद
कुछ तो बन गया था
हमारे दर्मयाँ शायद...
दिल में बसा के रखना होता है उन्हें"
यूँ तो सफर लम्बा सा था
एक सफह पलट कर देखता हूँ अब
तो कुछ पत्ते नज़र आते हैं-
मुड़े से, ज़मीन पर गिरे से,
साथ ही हमने रौंदा था उन्हें
चले थे कारवाँ लेकर जब
चुन लो वो पत्ते
हमारी यादों के गवाह हैं वो
हो सके तो
रख लेना अपने पास
हर वो लम्हा
जो साथ बिताया था हमने
हर पल में कुछ
ओस की बूँदें शामिल कर दी हैं मैने-
कुछ मिलावट आँसुओं की भी होगी शायद
देख लेना एक बार
अपनी उँगलियों से सहला कर!
वक्त गुज़रेगा
(गुज़रता ही है)
फिर से कहानी कोई नयी आएगी
मंच सजेगा
तुम होगे वहाँ फिर से
मेरी कमी को महसूस करना
हो सके तो...
तब बुदबुदा देना
हवा के कानों में मेरा नाम-
जब गुजरेंगे मेरे पास से
तो सुन लूँगा मैं
कुछ सामान यूँ छोड़े जाता हूँ
तुम्हारे पास
रिश्ते बुनते तो नहीं हम,
बेबाक से रिश्ते
बन जाते हैं खुद-ब्-खुद
कैसे कह दूँ
कोई रिश्ता नहीं तुमसे?
खुद से पूछ लो-
कुछ तो है
हमारे दर्मयाँ शायद
कुछ तो बन गया था
हमारे दर्मयाँ शायद...
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