मीलों चले पर मंज़िल नहीं आती

मीलों चले पर मंज़िल नहीं आती
थक गए, नींद लेकिन नहीं आती

मिले भी, हँसे भी, मुस्कुराये भी
मोहब्बत अब, लेकिन नहीं आती

जो कहते थे रहेंगे साथ हमेशा
खबर उनकी, लेकिन नहीं आती

-4.3.15

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें