एहसास हूँ, एहसास विहीन हूँ... स्वास हूँ, नि:स्वास हूँ...
यूँ जीते भी तो क्या जीते हम ज़र्रा तुम ज़मीं होते
आंधियाँ वक़्त की आती एक दूसरे से रूबरू होते
जब जुनूं ख़त्म हो जिंदगी के हम एक दूसरे के सुकूँ होते
-29.8.14
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