एहसास हूँ, एहसास विहीन हूँ... स्वास हूँ, नि:स्वास हूँ...
समय के बंद दरवाजों से आज़ाद होते पल में क़ैद कविता समय के दरवाज़े बंद कर देती है
और हर पल में क़ैद होती है आज़ादी
समय जो तीव्र गति से बढ़ता है, हर पल थमा रहता है।
-26.7.14
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