कथा-कहानी-उपन्यास हूँ मैं, कविता हूँ मैं!
एहसास हूँ, एहसास विहीन हूँ... स्वास हूँ, नि:स्वास हूँ...
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एक कहानी
सलाखें
दुनिया
और दरम्यान
मेरे
हैं सलाखें।
सलाखों के
उस तरफ
मैं,
इस तरफ
दुनिया सारी।
क़ैद कौन है,
इसका फैसला
कौन करे?
18.8.13
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