सच और झूठ

देखो,
एक पंछी उड़ता है
और मैं लिखता हूँ
एक कविता उस पर

वो पंछी कुछ नहीं
कहता
ना सुनता
बस उड़ता है
विशाल गगन में

मैं कविता लिखता हूँ
वो कविता है
मैं झूठा हूँ
वो सच्चा है।

10.8.13

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