अंतरिक्ष में संदेश

मैं एक कविता बुदबुदा रहा था
और कविता कहते कहते भूल गया

मैं एक कहानी सोच रहा था
और कहानी सोचते सोचते खो गयी

इतना कुछ खोया कि
कविता कहानी का खोना
कुछ खोना नहीं लगता

कविता का भूलना
सबसे बड़ा दुःख होता है उस दिन का
कहानी का खोना
अनकहा दर्द होता है

मैं कई दिनों तक कुछ नहीं लिखता
अपने शब्द बचा कर रखता हूँ

और एक दिन शब्दों का झुंड अंतरिक्ष में छोड़ देता हूँ

इस तरह से किसी दूर प्राणी तक
मेरे संदेश पहुँच जाएंगे-
मेरे भूलने के बाद भी
मुझसे खोने के बाद भी

फिर मैं शांति से कॉफ़ी पी लेता हूँ

16.6.18

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