सुन री

सुन री,
जब मैं बूढ़ा हो जाऊँ
तब तुम आना मुझसे मिलने

जब जवानी बीते साल बहुत हो चुके होंगे
हम दोनों के चेहरे पर झुर्रियाँ बहुत आ चुकी होंगी
जब नहीं देखेगी दुनिया हमें शक की नज़र से
तब आना मेरे साथ आइस-क्रीम खाने

अपने-अपने हिस्से का जीवन जीने के बाद
जो खाली दिन मिलेंगे
उसको रखना बचा कर हमारे लिए
हम जीयेंगे सब जो अब नहीं जी पाए

मैं तब भी बच्चे सा मिलूँगा तुम्हें
मैं तब भी बेकार चुटकुले सुनाऊँगा
नहीं चल सकेंगे बहुत देर
फिर भी
इधर उधर घूमना जो बाकी रह गया
वो सब करेंगे

या फिर नहीं भी करेंगे ये सब
और सुनेंगे बहुत देर तक कि
एक दूसरे के बिना
इस ब्रह्मांड का चक्कर लगाना कैसा था
किस किस ग्रह से टकराई तुम
कौन सा चंद्रमा मिला तुम्हें
कौन से तारे बुझ गए

जवानी में झूठ बहुत बोला एक दूसरे से
बुढ़ापे में क्यों ही झूठ बोलेंगे?
जो पल साथ बिताना था, वो तो बीत ही चुका
जो कल बचा है, वो भी ज़्यादा नहीं अब

तुम बस आ जाना

कुछ समय पहले तुम्हारा इंतज़ार बचा था
अब बुढापे का इंतज़ार बचा है

11.1.18

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें