हम नहीं मिलते
और नहीं होता कोई खेल
ना कोई तमाशा
ना दुनियादारी कोई
ना तुम रूठते
ना मैं मनाता
ठंडी रातों में
लम्बे रास्तों पर
ना कोई जाता
बेमतलब शामों में
नहीं पकड़ते हाथ
और देखते शहर को
एक नए कोने से
नहीं लिखता बेकार कवितायें
गाजर के हलवे और मूँगफली पर
-जो हमने साथ खाए थे
नहीं आते एक-दूसरे
के सपनों में-
नींदें बर्बाद नहीं होती
-लेकिन हम मिले
और जीना सीख लिया
22.1.16
और नहीं होता कोई खेल
ना कोई तमाशा
ना दुनियादारी कोई
ना तुम रूठते
ना मैं मनाता
ठंडी रातों में
लम्बे रास्तों पर
ना कोई जाता
बेमतलब शामों में
नहीं पकड़ते हाथ
और देखते शहर को
एक नए कोने से
नहीं लिखता बेकार कवितायें
गाजर के हलवे और मूँगफली पर
-जो हमने साथ खाए थे
नहीं आते एक-दूसरे
के सपनों में-
नींदें बर्बाद नहीं होती
-लेकिन हम मिले
और जीना सीख लिया
22.1.16
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