वो वक़्त-
जब 
खामोश हो जाएगी
रात,
सुबह खामोश,
चुप होगी 
हरेक बोलती 
घड़ी,
पत्ते 
जब 
पेड़ से टूट कर
ज़मीं से ठीक 
डेढ़ फीट ऊपर
थम जायेंगे-
उस लम्हे 
की तरह
जिस लम्हे में
मिलेंगे हम
वो वक़्त 
जब सब कुछ थम 
चुका होगा-
सच झूठ
सफ़ेद स्याह
गुण निर्गुण
-सब एक
जब सबकुछ 
एक होगा
समय के 
शुरुआत की 
तरह
तब 
मिलेंगे हम
हम मिलेंगे
दो प्रोटोन की तरह
और फिर 
शुरुआत होगी
एक नए यूनिवर्स की
-सच 
और झूठ 
से परे
आदी और अंत 
से दूर।
-29.4.14