सिनेमा

और,
शुरू हुआ एक
और सिनेमा-
70एम.एम वाला

शुरू हुआ
एक सफ़र,
वीरान नगर के
वीराने से-
जहाँ आबाद है
दुनिया यादों क़ी
-किसी कोने में
छिपे भूले-बिसरे
वादों की,
सुनसान गली
की कहानी अनसुनी,
बेचैन पलों की
बातें अनकही,
वो जो गीत थे
जिसे गाया कभी नहीं,
वो जो संगीत था
जिसे सुनाया कभी नहीं

ऐसे भी कुछ पल
ये सिनेमाटोग्राफर क़ैद कर लेगा,
कैमरे का एंगेल
रख देगा वहाँ
जहाँ से दिखेगी
अन-दिखी तस्वीरें
ज़िन्दगी की

एडिटर फ्रेम दर फ्रेम
कह देगा कहानी-
जिसे कहना ज़रूरी है,
ज़रूरी है जिसे
महसूस करना
रूह तक को

स्पेशल इफेक्ट
वाला सिनेमा,
दिखा देगा सबकुछ
जो देखा नहीं कभी

...फिर भी देख नहीं
पायेगा कोई और
सिनेमा मेरा,
सिनेमा तेरा-
वो जो बना है
सपनों के फ्रेम में।

22.3.14

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