मैं धीरे धीरे बूढ़ा होता हूँ

मैं धीरे धीरे बूढ़ा होता हूँ

मैं धीरे धीरे ही ये देख रहा हूँ
जीवन जीने की प्रक्रिया में 
अचानक कुछ नहीं होता
धीरे धीरे ही चेहरे पर झुर्रियाँ आती हैं
धीरे धीरे ही दाढ़ी सफ़ेद होती है
धीरे धीरे ही कमर का दर्द बढ़ता है
धीरे धीरे ही स्मृतियाँ धुंधली होती हैं
धीरे धीरे ही बचपन की यादें प्रबल होती हैं

जैसे प्रेम अचानक नहीं होता
वैसे ही अचानक कोई बूढ़ा नहीं होता

प्रेम के साथ बूढ़ा होना सुखद है

पूरे साल में 
कोई मौसम अचानक नहीं आता
धीरे धीरे ही सर्दी आती है
धीरे धीरे ही गर्मी
एक दिन तेज़ बरसात आती है
पर उससे पहले कई दिन 
धीमी गति पर बूंदें गिरती हैं

मैंने एक टाइम-लैप्स वीडियो बनाया
और देखा कि सबकुछ जल्दी बीत गया

अंतिम क्षण में जीवन को टाइम-लैप्स में देख सकें
तो क्या देखेंगे?
धीरे धीरे की जगह जल्दी जल्दी में सब दिखेगा
और जल्दी जल्दी में कुछ समझ नहीं आएगा
जहाँ कई साल बैठे रहे 
उस जगह से कुछ सेकंड में उठ जाएंगे
कितना दुखद होगा
अंतिम क्षण में पूरे उम्र के प्रेम को 
कुछ सेकंड में देखना

25.9.20

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