दोनों साथ ही 
चल रहे हैं 
फिर भी साथ नहीं हैं 
दोनों को 
एक ही हवा लगती है 
लेकिन फिर भी 
हवा एक नहीं है 
हम दोनों के हिस्से 
की दुनिया बँटी हुयी है 
और हमें ये पता भी नहीं 
हम पूरी दुनिया को
अपना ही मान कर चल रहे हैं 
और अपने अपने हिस्से 
के दुःख को 
सबका दुःख मान कर 
दुःखी भी नहीं हैं 
इतने अजीब हैं हम 
या फिर इतने 
मस्त हैं हम
-23.9.2016
 
  
 
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