अर्ध-सत्य


शब्द हैं
शब्द थे
शब्द रहेंगे
-असमर्थ
-अपूर्ण
-अस्थायी

शब्द के आकार
नहीं पर्याप्त
तुम तक मेरी
बात पहुँचाने में

कितना कुछ भी
कह दूँ,
रह जाती है
बातें अनकही ज़्यादा

फिर भी
शब्दों पे टिका
इंसानी रिश्ता
अपनी आयु
लेता है काट
-निभते निभाते निभ
ही जाते हैं
रिश्ते सारे

फिर एक लम्बा
मौन
-मौन कह देता है
सबकुछ-
अनकही
अनसुनी
असामान्य

मौन में विलीन
तुम और मैं
कह देंगे
सबकुछ
-पूर्ण सत्य खोज लेंगे

तब तक
तुम और मैं
जीते हैं
अपने-अपने
अर्ध सत्य के
साथ।

10.12.13

एक हल्की कविता


मतलब वाली बात
मतलबी संवाद
सबकुछ जो हो
किसी मतलब से
-व्यर्थ है

व्यर्थ है
तुम्हारा कहना मुझसे
तुम्हारा पूछना मुझसे
कि मतलब क्या है
इन बातों का

सब व्यर्थ है-
आकार व्यर्थ
रूप व्यर्थ
अलंकार व्यर्थ
व्यर्थ सभी
ज़रूरी बातें

व्यर्थ है खोजना-
अपने हिस्से का सत्य
व्यर्थ है थोपना-
अपनी समझ का सत्य

अर्थ सिर्फ
निराकार है-
अर्थ सिर्फ शून्य।

-8.12.13